कल परसों से एक बड़ा ही कुतर्की बयान पढने में आ रहा है. .....वेनेजुएला ने भी विमुद्रीकरण का फैसला लिया था किन्तु वहाँ इसके विरोध के दौरान एक व्यक्ति की मृत्यु के कारण सरकार को फैसला रोकना पड़ा जबकि भारत में 100 से ज्यादा लोगों की मृत्यु के बावजूद सरकार अपने रुख पर अड़ी हुई है......
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मृत्यु किसी की भी हो वो दुखद ही होती है किन्तु कुतर्क करने से पहले थोड़ा अध्ययन तो कर लो.....भारत और वेनेजुएला की आपस में तुलना हो ही नहीं सकती...उस मृत्यु के मामले में नहीं बल्कि अन्य कारणों से.....वेनेजुएला पिछले तीन साल से रिशेसन में है और उम्मीद है कि ये 2019 तक चलेगा.....वेनेजुएला की इकॉनोमी का मुख्य स्रोत तेल है जो कि दिन प्रति दिन सस्ता हुआ जा रहा है....नतीजतन जीडीपी में गिरावट और पैसे की कमी.....वेनेजुएला में सरकार किसी की भी बने बागडोर हमेशा से ड्रग्स माफियाओं के पास ही रहती है....अधिकतर काला धन उन्ही के पास है, सो उन्होंने सरकार के खिलाफ सड़कों पर हिंसात्मक उपद्रव करवाए....दुकानों में लूटपाट शुरू हो गई ...माफियाओं के समर्थन और दुष्प्रचार के प्रभाव में आकर वहाँ की जनता भी उनके साथ हो ली...कुल मिलाकर माफियाओं ने वहां गृहयुद्ध जैसा वातावरण तैयार करवा दिया....दुनिया की कोई भी सरकार ऐसी स्थिति नहीं चाहती, सो ये प्रस्ताव वापस ले लिया गया....
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हम भारतीयों ने धीरज के साथ सरकार के निर्णय का साथ दिया.....आम लोगों ने इसके पीछे की सरकार की मंशा को समझा और सहयोग किया....विरोधियों के दुष्प्रचार के प्रभाव में नहीं आये ...साथ ही सरकार ने कई रास्ते ऐसे सुझाए और सुविधाएं दी जिनसे आम जन को थोड़ी बहुत राहत मिल सके जिसमें कि वेनेजुएला की सरकार पूरी तरह से नाकाम रही....
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अच्छा अगर वेनेजुएला के लोगों ने अपनी सरकार को मजबूर कर दिया प्रस्ताव वापस लेने पर तो उसके बदले पाया क्या........बाबाजी का घंटा ?? वेनेजुएला में मंहगाई की दर 475% है जिसके कि अगले साल तक 1660% तक पहुँचने की आशंका है...दो साल में उनकी मुद्रा की कीमत मात्र 8% रह गई है और आज भी गिरती जा रही है.....भारत तो खुद को संभाल लेगा लेकिन वेनेजुएअला दूसरा ज़िम्बाब्वे बनने की ओर अग्रसर है.....
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मृत्यु किसी की भी हो वो दुखद ही होती है किन्तु कुतर्क करने से पहले थोड़ा अध्ययन तो कर लो.....भारत और वेनेजुएला की आपस में तुलना हो ही नहीं सकती...उस मृत्यु के मामले में नहीं बल्कि अन्य कारणों से.....वेनेजुएला पिछले तीन साल से रिशेसन में है और उम्मीद है कि ये 2019 तक चलेगा.....वेनेजुएला की इकॉनोमी का मुख्य स्रोत तेल है जो कि दिन प्रति दिन सस्ता हुआ जा रहा है....नतीजतन जीडीपी में गिरावट और पैसे की कमी.....वेनेजुएला में सरकार किसी की भी बने बागडोर हमेशा से ड्रग्स माफियाओं के पास ही रहती है....अधिकतर काला धन उन्ही के पास है, सो उन्होंने सरकार के खिलाफ सड़कों पर हिंसात्मक उपद्रव करवाए....दुकानों में लूटपाट शुरू हो गई ...माफियाओं के समर्थन और दुष्प्रचार के प्रभाव में आकर वहाँ की जनता भी उनके साथ हो ली...कुल मिलाकर माफियाओं ने वहां गृहयुद्ध जैसा वातावरण तैयार करवा दिया....दुनिया की कोई भी सरकार ऐसी स्थिति नहीं चाहती, सो ये प्रस्ताव वापस ले लिया गया....
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हम भारतीयों ने धीरज के साथ सरकार के निर्णय का साथ दिया.....आम लोगों ने इसके पीछे की सरकार की मंशा को समझा और सहयोग किया....विरोधियों के दुष्प्रचार के प्रभाव में नहीं आये ...साथ ही सरकार ने कई रास्ते ऐसे सुझाए और सुविधाएं दी जिनसे आम जन को थोड़ी बहुत राहत मिल सके जिसमें कि वेनेजुएला की सरकार पूरी तरह से नाकाम रही....
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अच्छा अगर वेनेजुएला के लोगों ने अपनी सरकार को मजबूर कर दिया प्रस्ताव वापस लेने पर तो उसके बदले पाया क्या........बाबाजी का घंटा ?? वेनेजुएला में मंहगाई की दर 475% है जिसके कि अगले साल तक 1660% तक पहुँचने की आशंका है...दो साल में उनकी मुद्रा की कीमत मात्र 8% रह गई है और आज भी गिरती जा रही है.....भारत तो खुद को संभाल लेगा लेकिन वेनेजुएअला दूसरा ज़िम्बाब्वे बनने की ओर अग्रसर है.....