खतरे का उदघोष बजा है, रणभूमी तैयार करो,
सही वक्त है, चुन चुन करके, गद्दारों पर वार करो,
सही वक्त है, चुन चुन करके, गद्दारों पर वार करो,
आतंकी दो चार मार कर हम खुशियों से फूल गए,
सरहद की चिंताओं में हम घर के भेदी भूल गए,
सरहद की चिंताओं में हम घर के भेदी भूल गए,
सरहद पर कांटे हैं, लेकिन घर के भीतर नागफनी,
जिनके हाथ मशाले सौंपी, वो करते है आगजनी,
जिनके हाथ मशाले सौंपी, वो करते है आगजनी,
ये भारत की बर्बादी के कसे कथानक लगते हैं,
सच तो है दहशतगर्दों से अधिक भयानक लगते हैं,
सच तो है दहशतगर्दों से अधिक भयानक लगते हैं,
संविधान ने सौंप दिए हैं अश्त्र शस्त्र आज़ादी के,
शिक्षा के परिसर में नारे भारत की बर्बादी के,
शिक्षा के परिसर में नारे भारत की बर्बादी के,
अफज़ल पर तो छाती फटती देखी है बहुतेरों की,
मगर शहादत भूल गए हैं सियाचीन के शेरों की,
मगर शहादत भूल गए हैं सियाचीन के शेरों की,
जिस अफज़ल ने संसद वाले हमले को अंजाम दिया,
जिस अफज़ल को न्यायालय ने आतंकी का नाम दिया,
जिस अफज़ल को न्यायालय ने आतंकी का नाम दिया,
उस अफज़ल की फांसी को बलिदान बताने निकले हैं,
और हमारे ही घर में हमको धमकाने निकले हैं,
और हमारे ही घर में हमको धमकाने निकले हैं,
बड़ी विदेशी साजिश के हथियार हमारी छाती पर,
भारत को घायल करते गद्दार हमारी छाती पर,
भारत को घायल करते गद्दार हमारी छाती पर,
नाम कन्हैया रखने वाले, कंस हमारी छाती पर,
माल उड़ाते जयचंदों के वंश हमारी छाती पर,
माल उड़ाते जयचंदों के वंश हमारी छाती पर,
लोकतंत्र का चुल्लू भर कर डूब मरो तुम पानी में,
भारत गाली सह जाता है खुद अपनी रजधानी में,
भारत गाली सह जाता है खुद अपनी रजधानी में,
आज वतन को, खुद के पाले घड़ियालों से खतरा है,
बाहर के दुश्मन से ज्यादा घर वालो से खतरा है,
बाहर के दुश्मन से ज्यादा घर वालो से खतरा है,
देशद्रोह के हमदर्दी हैं, तुच्छ सियासत करते है,
और वतन के गद्दारों की खुली वकालत करते है,
और वतन के गद्दारों की खुली वकालत करते है,
वोट बैंक की नदी विषैली, उसमे बहने वाले हैं,
आतंकी इशरत को अपनी बेटी कहने वाले हैं,
आतंकी इशरत को अपनी बेटी कहने वाले हैं,
सावधान अब रहना होगा वामपंथ की चालों से,
बच कर रहना टोपी पहने ढोंगी मफलर वालों से,
बच कर रहना टोपी पहने ढोंगी मफलर वालों से,
राष्ट्रवाद के रखवालों मत सत्ता का उपभोग करो,
दिया देश ने तुम्हे पूर्ण, उस बहुमत का उपयोग करो,
दिया देश ने तुम्हे पूर्ण, उस बहुमत का उपयोग करो,
हम भारत के आकाओं की ख़ामोशी से चौंके हैं,
एक शेर के रहते कैसे कुत्ते खुलकर भौंके हैं,
एक शेर के रहते कैसे कुत्ते खुलकर भौंके हैं,
मन की बाते बंद करो, मत ज्ञान बाँटिये मोदी जी,
सबसे पहले गद्दारों की जीभ काटिये मोदी जी,
सबसे पहले गद्दारों की जीभ काटिये मोदी जी,
नहीं तुम्हारे बस में हो तो, हमें बोल दो मोदी जी,
संविधान से बंधे हमारे हाथ खोल दो मोदी जी,
संविधान से बंधे हमारे हाथ खोल दो मोदी जी,
अगर नही कुछ किया, समूचा भार उठाने वाले हैं,
हम भारत के बेटे भी हथियार उठाने वाले हैं,
हम भारत के बेटे भी हथियार उठाने वाले हैं,
----कवि गौरव चौहान
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