Monday, 14 September 2015

हिंदी दिवस 14 सितम्बर (Hindi Diwas 14 September)

हिन्दी दिवस प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को मनाया जाता है। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में सबने एक मत से यह निर्णय लिया था कि हिन्दी ही भारत की राजभाषा होगी। इसी महत्वपूर्ण निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने तथा हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर सन् 1953 से संपूर्ण भारत में 14 सितंबर को प्रतिवर्ष हिन्दी-दिवस के रूप में मनाया जाता है।

हर 14 सितंबर को देश में हिंदी दिवस मनाया जाता है। जरा हम पता करें कि सवा अरब के इस देश में कितने लोगों को मालूम है कि 14 सितंबर को हिंदी दिवस होता है।
आम आदमी का उससे कोई लेना देना नही होता। सरकारी दफ्तरों में भी वह वार्षिक कर्मकांड बन गया है। किसी अफसर या किसी छोटे-मोटे नेता या किसी हिंदी सेवी को बुलाकर कुछ कर्मचारियों को हिंदी में काम करने के लिए पुरस्कार दे दिए जाते हैं। रटे रटाए शब्दों में पिटे-पिटाए मुद्दो पर भाषण हो जाते हैं और फिर परनाला वही गिरना शुरू हो जाता है।
क्या अब भी हिंदी दिवस इसी तरह मनता रहेगा? मेरी राय में हिंदी दिवस का महत्व हमारे स्वतंत्रता दिवस से भी अधिक है। देश को स्वतंत्रता तो मिल गई, लेकिन स्वभाषा नही मिली, जिसके बिना स्वतंत्रता अधूरी है। हमारे पास तंत्र तो आ गया, लेकिन इसमें 'स्व' कहां है? भाषा की गुलामी से भी बड़ी कोई गुलामी होती है क्या?
भाषा के कारण मनुष्य पहचाना जाता है। वरना मनुष्य और पशु मे क्या फर्क होता है? देश का नागरिक मनुष्य की गरिमा से रहे, इसके लिए जरूरी है कि वह अपनी भाषा का प्रयोग करें। हर स्तर पर, हर जगह, हर समय करे।
हिंदी-दिवस मनाने का अर्थ यह भी नही कि हम अहिंदीभाषियो पर हिंदी थोपने के पक्षधर है।
कतई नही••• भारत की समस्त भाषाएं समान सम्मान की अधिकारिणी है। जिस दिन हम हिंदीभाषी लोग अन्य भारतीय भाषाओं को सीखना शुरू कर देगें, हिंदी पूरे राष्ट्र की कंठहार बन जाएगी।लेकिन शुरुआत तो हिंदी से ही करनी पड़ेगी।
समझो कि उसी दिन राष्ट्र के प्रत्येक जन को हिंदी पदक मिल जाएगा।




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